जयशंकर प्रसाद जी ने कामायनी में लिखा है....
नारी तुम केवल श्रद्धा हो,
विश्वास-रजत-नग-पल-तल में!
पियूष स्त्रोत सी बहा करो,
जीवन के सुंदर समतल में.
मैं ये समझने बैठा की नारी को केवल श्रद्धा क्यों कहा गया है. एक छोटा सा सवाल... आमतौर पर लड़कियां नौकरी क्यों करती हैं? जवाब सरल है, थोड़ा टाइमपास, वर्किंग लेडी का तमगा, आत्मविश्वास और इसी बहाने जेब खर्च भी आराम से चलता रहता है. लड़का नौकरी करता है घर की जिम्मेदारियों को उठाने के लिए मसलन राशन-पानी, किराया-भाड़ा, बीवी का दिल- बिजली का बिल वैगरह वैगरह. लड़के को चाहिए होती है एक ऐसी तनख्वाह जो हर महीने उसके घर का खर्च आराम से चला सके. लड़की की जरूरतों में मेकप का सामान, नयी ड्रेस और थोड़ी सी रेगुलर बचत बस. अब एक ही ऑफिस में, एक ही पद के लिए जब दोनों इंटरव्यू देते हैं तो कम तनख्वाह की डिमांड के कारण महिला उम्मीदवार का पलड़ा ज्यादा भारी हो जाता है. और फिर अगर इंटरव्यू लेने वाला नारी से थोड़ी भी श्रद्धा जोड़ ले तो नौकरी पक्की. इस तरह से एक जरुरतमंद के हाथ की नौकरी श्रद्धा की भेंट चढ़ गयी. लेकिन सिलसिला यहीं नहीं ख़त्म हुआ. उस महिला उम्मीदवार के आ जाने से पुरुषों के सैलरी प्रमोशन पर भी दीर्घकालिक ग्रहण लग गया. लेकिन श्रद्धा में पुरुष उस नारी से कभी कुछ कह नहीं पाता.
sahi hai sirji
ReplyDeletemusibat to tab khadi ho hai jab kayi logo ki shraddha ek saath us ladki se jud jaati hai
ReplyDeletekabhi kabhi zarurat par shauk haawi ho jaate hain, sahi likha hai
ReplyDeletebaat me to dum hai lekin aap ne bhi zindagi me kisi zaruratmand se pehle kisi naari ko isi tarah shradha di hogi kyon?
ReplyDeleteye to insaani fitrat hai, Q sir ji
ReplyDeletenari ke sammaan me bahut achhi rachna...
ReplyDeleteMeri Nayi Kavita aapke Comments ka intzar Kar Rahi hai.....
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Loved Ur Words...All of the words r heart touching
ReplyDeleteक्या कोई नई theory बना रहे हैं ?
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